जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता

ग्वाल शक्ति सेना

गो रक्षा धर्म हमारा

फाउंडेशन के सदस्य

परम पूज्य प्रकाश नाथ जी महाराज जी
परम पूज्य प्रकाश दास जी महाराज जी
श्री धनेश्वर भाई जोशी
परम पूज्य चंद्रमादास जी महाराज जी
महंत सदानंद जी महाराज
श्री राजकुमार जी अग्रवाल साहब
पंडित सत्यनारायण जी शास्त्री
स्वामी श्री गोबर गोपाल सरस्वती जी महाराज
गोपाल स्वामी श्री गौशरणानंद सरस्वती जी
गोपाल स्वामी श्री ग्वालानंद सरस्वती जी महाराज
ब्रह्मचारी गोवत्स श्री ओम गोपाल जी
उत्तम सिंह जी राजपुरोहित
गोवत्स भैरव सिंह
अजीत जी शर्मा
शिवराज जी शर्मा
राधावत्स
गोवत्स भारत भाई श्री
गौवत्स बालकृष्ण जी महाराज
गोवत्स किरण कृष्ण जी
ब्रह्मचारी श्री एकलव्य गोपाल जी
ब्रह्मचारी श्री धनंजय गोपाल जी
गोवत्स कृष्ण किरण गोपाल जी
गोवत्स गौरव गोपाल
गोवत्स दिनेद्र गोपाल
गोवत्स आनन्द गोपाल
गोवत्स संजय गोपाल गुप्ता
लोकेश राठौर
नितेश राठौर
सुभाष पास्ता
गोवत्स रामेश्वर गोपाल जी
आत्माराम बिश्नोई
अनुराग गोयल
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हमारे बारे में संक्षिप्त में जानकारी

आज अपने देश में जन-जन के हृदय में राष्ट्र भक्ति को जाग्रत करने वाले अनेकों राष्ट्रवादी संगठन है। समय-समय पर जब हमारे देश में राष्ट्र विरोधी, हमारे संस्कृती-विरोधी कोई भी हलचल होती है, तब यह संगटन मजबूती के साथ ऐसे तत्वों का विरोध करते है।
कई धार्मिक संगठन भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर धर्म स्थल की सुरक्षा और विकास के लिए काम कर रहे हैं जब भी धर्म स्थल पर विधर्मीयों या शासन की और से कोई हानि पहुचानें का प्रयास किया जाता हैं, तब राष्ट्रीय स्तर पर अनेको आंदोलन किये जाते है और यह आंदोलन इतने कडे होते है कि शासन को भी घुटने टेकने पड़ते है। धर्मस्थल के विकास की बात आती है तो भी सहयोग करते कराते है, भाषागत, जातिगत, क्षेत्रीय, राजनीतिक, लिंगानुसार कई संगठन अपने-अपने विचारों के साथ खड़े हैं, लेकिन गो-सेवा के क्षेत्र मे राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाला, तन-मन-धन और शैक्षणिक दृष्टिकोण से सबल निष्काम भाव से कार्य करने वाला कोई संगठन नहीं है। जब भी गौमाता की सेवा से जुड़े विभिन्न आयाम जैसे गौ-सेवा, गौ-रक्षा, गोचर से जुडी कोई समस्या, अनुदान संबधित समस्या, भूमि आवंटन से जुड़ी समस्या, गौ-भक्तों, गौ-रक्षको , गौ-सेवको और  गौशाला संचालको को आती है, तब उनके सह‌योग के लिये बहुत कम लोग आगे आते है, उस स्थिति में गौभक्त अपने आप को असहाय महसूस करते है। वो लोग सहयोग हेतु पंचायत, नगरपालिका, तहसीलदारों के पास मंत्रीयों के पास मंत्रालयों में निरंतर चक्कर लगाते है, परन्तु गौभक्तों कि हृदय की पीड़ा पर भी शासकीय स्तर पर  सहज सहयोग नहीं के प्राप्त होता हैं। इसका परिणाम यह निकलता है की गो-सेवक निराश होकर किसी और कार्य में लग जाते है, परिणाम स्वरूप गौ-सेवा के कार्य को हानि होती है। गोवंश सड़कों पर भूखा-प्यासा भ्रमण करता हैं। गायमाताओं की दिन दहाड़े तस्करी होती है। गौशाला मे गोवंश हेतु अनुदान नहीं होने से चारा/पानी की कमी हो जाती हैं।
और भी गौ-सेवा के क्षेत्र में अनेकानेक संमस्याए आती है। जैसे उद्योगीकरण के कारण, आधुनिकता के कारण तेज रफ्तार से ही रहे निर्माण कार्य के कारण गौमाताओं के गोचर खत्म होते जा रहे हैं। गोचर नहीं होने के कारण गोवंश राजमार्गों पर भूख/क्षुधा से व्याकुल होकर राजमार्गों पर भ्रमण करते हैं।
तेज रफ्तार से गाडी आती है और गौमाताएं सड़क हादसे की शिकार हो जाती है। समय पर इलाज नहीं होने के कारण गोवंश अपनी लीला पुर्ण करता है। कुछ अतिस्वार्थी कृषक गोवंश खेत मे नहीं आवे, इस कारण सीधा सड़क से सटकर तारबंदी कर देते है, परिणामस्वरुप गोवंश को पर्याप्त चारा नहीं मिल पाता हैं।
वर्तमान समय में गौ-सेवा के क्षेत्र में शासन की तरफ से कई राज्यो में उदासीनता दिखाई देती है हैं। अनुदान नहीं मिलना मिलना तो समय पर नहीं मिलना, तस्करों कड़ियों की सहज जमानत हो जाना ऐसी अनेकोनेक समस्याएँ वर्तमान समय में गौ-सेवा के क्षेत्र मे गौभक्तों की सामने आती है। गौमाता को किसी भी प्रकार का कोई भी कष्ट न हो, गौमाताओं को समय पर घास/जल की सुविधा उपलब्ध हो, गोचर पर मात्र गौवंश का विचरण हो, गौवंश का किसी भी प्रकार का अपमान न हो, इसलिये ग्वाल शक्ति सेना का गठन किया जो इन गो सेवकों के सहयोग हेतु संकल्पबद्ध है।

ग्वाल शक्ति सेना का विजन

Vision of Foundation:-
प्राचीन काल से ही भारत में गोधन को मुख्य धन मानते आए हैं और हर प्रकार से गौरक्षागौसेवा एवं गौपालन पर ज़ोर दिया जाता रहा है। हमारे हिन्दू शास्त्रोंवेदों में गौरक्षागौ महिमागौपालन आदि के प्रसंग भी अधिकाधिक मिलते हैं। रामायणमहाभारतभगवद्गीता में भी गाय का किसी न किसी रूप में उल्लेख मिलता है। गायभगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है। गौ पृथ्वी का प्रतीक है। गौमाता में सभी देवीदेवताविद्यमानरहतेहैं।सभीवेदभीगौमातामेंप्रतिष्ठितहैं।

वराह पुराण २०४२०]
 इदमेवापरम् चैव चित्रगुप्तस्य भाषितम् ।सर्वदेवमयादेव्यःसर्ववेदमयास्तथा।।

अर्थ :- ( सूत जी महाराज शौनकादिक ऋषियों को कथा सुना रहे हैं)
(भगवान वाराहमाता पृथ्वी को कथा सुना रहे हैं)
चित्रगुप्त जी कहते हैं कि यह गौमाता स्वरूप देवीयाँ सर्वदेवमय और सर्ववदमय है।

जो गौओं की सेवा करता है और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता हैउस पर संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं। जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौओं की सेवा करता हैवह समृद्धि का भागी होता है। गायों की सेवा से मनुष्य निर्मल और दुःख तथा शोकरहित श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त करता है।
जो कोई भक्त भक्ति भाव से गो सेवा करता हैंवो सब पापों से रहित हो जाया करते हैं।

वेद भगवान्‌ का निर्देश है कि यदि किसी को इस मायाराज्य में सब प्रकार का वैभव प्राप्त करना हैतो गौमाता की प्रमुख रूप से सेवा करे।
अतएव मानवों को गौ माता की सेवा करने के वेद भगवान्‌ का आदेश हुआ। जो व्यक्ति सब प्रकार से अपना कल्याण चाहता होवह वेद भगवान्‌ के आदेश का पालन करें।
अतः वेद भगवान के आदेश की पालना करते हुए गो से ही समस्त जगत का कल्याण संभव हैंइस भाव को ध्यान में रखकर समस्त विश्व को गौसेवा के लिए प्रेरित करने के लिए ग्वाल शक्ति सेना नामक गौसेवी संस्था का निर्माण किया गया है ताकि अधिक से अधिक धर्मपरायण लोग गौसेवा का लाभ ले सके।

गो सेवार्थ होने वाले सभी कार्यों में बने सहभागी